थोड़ा सा सिनेमाई हो जाते हैं.
फ़िल्म फेस्टिवल आज केवल फ़िल्मों की नुमाइश भर नहीं रह गए, वे संवेदनाओं, संस्कृतियों और विचारों का जीवंत मंच बन चुके हैं। यहाँ नये फिल्मकारों को अपनी आवाज़ मिलती है, और समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की कहानियाँ सामने आती हैं।
इन मंचों पर सिनेमा नई शैली, नई दृष्टि और नये प्रयोगों के साथ उभरता है — जो व्यावसायिक सिनेमा में अक्सर जगह नहीं पाता। फेस्टिवल न सिर्फ़ दर्शकों को वैकल्पिक सिनेमा से जोड़ते हैं, बल्कि वैश्विक पहचान, वितरण और संवाद के अवसर भी देते हैं।
आज के दौर में जब कंटेंट बहुलता है, तब ऐसे फेस्टिवल दर्शक और फिल्म के बीच एक मूल्यवान सेतु बनाते हैं — जहाँ सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, समाज और समय की आवाज़ बन जाता है।
यहाँ कहानियाँ सीमाओं से परे जाती हैं — एक विचार, एक अनुभूति, एक परिवर्तन बनकर। ऐसे ही एक मंच की पेशकश कर रहा है Central India International Film Festival, जो 14 से 16 नवम्बर 2025 तक नागपुर में आयोजित होगा।
प्रोफ़ेशनल और नॉन-प्रोफ़ेशनल दोनों श्रेणियों में फीचर फ़िल्म, शॉर्ट्स, डॉक्यूमेंट्री, एनिमेशन, AI, मोबाइल फ़िल्म्स और एक्सपेरिमेंटल फ़िल्मों को बुलावा है।
फिल्में ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा की जा सकती हैं — अंतिम तिथि 30 अगस्त 2025 है।
यह महज़ आयोजन नहीं, एक आंदोलन है — जहाँ हर फ़्रेम एक प्रतिरोध है और हर कट एक संवाद।
तो! चाहे सरहदें हों ज़ुबानों की या ज़मीनों की, हर सूबे, हर कोने से अपने ख्वाबों की रीलें भेजिए -आईए, ज़िन्दगी को नयी फ्रेम में दिखाते हैं - थोड़ा सा सिनेमाई हो जाते हैं. शुक्रिया प्रिय मित्र संवेदनशील फ़िल्म मेकर शैलेन्द्र कृष्णा मुझ नाचीज़ को इस सिनेमाई महायज्ञ से जोड़ने के लिए
- अमन कबीर
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