श्रीमद्भागवत महापुराण कथा
श्रीमद्भागवतम् की दिव्य अवतरण-भूमि — शुक्रताल
वह पावन भूमि, जहाँ स्वयं श्री शुकदेव मुनि ने महाराज परीक्षित को सर्वप्रथम श्रीमद्भागवतम् का अमृत संदेश सुनाया। जिसकी अमृतधारा संपूर्ण मानवता के लिए प्रवाहित हुई। यहाँ की हर बयार में वेद-पुराणों की गूंज है, हर कण में ऋषि-मुनियों की तपस्या की छाया है।
पावन पितृपक्ष के शुभ अवसर पर, उसी पुण्यभूमि शुक्रताल में परम पूज्य श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी आशुतोषानंद गिरि जी महाराज के दिव्य सान्निध्य में आरंभ हो रही है मंगलमयी श्रीमद्भागवत कथा।
दिनांक: 8 सितम्बर से 14 सितम्बर
स्थान: होटल गुर्जर भवन, शुक्रताल, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
समय: दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे तक
प्रसारण: सत्संग TV चैनल एवं YouTube (Swami Ashutoshanand)
पितृ पक्ष में कथा श्रवण करने का महात्म्य:
● पितृपक्ष में भागवत कथा श्रवण करने से पितरों की आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है।
● श्रवण करने वाला स्वयं भय, क्लेश और मोह से मुक्त होता है।
● यह कथा भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की पावन त्रिवेणी है।
आइए इस अद्वितीय अवसर पर आत्मा को जाग्रत करने वाले महाराज श्री के श्रीमुख से शुकदेव मुनि के अमृत वचनों का रसास्वादन करिये एवं श्रीमद्भागवत के अमृत को हृदय में उतारिये, और अपने पितरों का कल्याण व अपने जीवन का उद्धार कीजिये।
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