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Wed, 19 Nov, 2025 at 01:00 am

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Wed, 19 Nov, 2025 at 01:00 am (IST)

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## **रहस्यमयी हवेली का राज**
शहर से कई किलोमीटर दूर, घने जंगलों और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच एक पुरानी हवेली खड़ी थी। हवेली इतनी विशाल थी कि उसकी टूटी हुई दीवारें और ऊँचे गुम्बद दूर से ही नज़र आ जाते। गाँव वाले कहते थे कि वहाँ अजीब घटनाएँ होती हैं—रात के सन्नाटे में चीखने की आवाज़ें, खिड़कियों से दिखती रहस्यमयी परछाइयाँ और अपने-आप बजने वाली घंटियाँ।
किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो सूरज ढलने के बाद हवेली के आस-पास भी जाए। लोग बच्चों को डराने के लिए कहते—“अगर शरारत करोगे तो हवेली का भूत पकड़ ले जाएगा।”
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## **राहुल की जिज्ञासा**
राहुल बीस साल का एक जिज्ञासु लड़का था। उसे बचपन से ही रहस्यमयी कहानियों में दिलचस्पी थी। जब भी कोई हवेली की डरावनी बात करता, उसके अंदर रोमांच भर जाता। उसके दोस्त चेतन, पायल और समीर अक्सर उसे समझाते, “पागल मत बन, वहाँ कोई जाता नहीं। जो गया, वो लौटकर नहीं आया।”
लेकिन राहुल का मन मानने वाला कहाँ था। उसने ठान लिया कि वह हवेली के रहस्य से पर्दा उठाकर रहेगा।
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## **आधी रात की यात्रा**
एक रात, जब सब सो रहे थे, राहुल चुपचाप घर से निकला। उसके पास सिर्फ एक टॉर्च, एक मोबाइल और जेब में पेन-नोटबुक थी। अँधेरी रात में झींगुरों की आवाज़ और पेड़ों से आती ठंडी हवा उसे और भी बेचैन कर रही थी।
जंगल का रास्ता लंबा था। पत्तियों की सरसराहट और अचानक टूटती डालियाँ सुनकर कई बार उसका दिल जोर से धड़का। पर उसने कदम नहीं रोके। लगभग आधे घंटे की पैदल यात्रा के बाद वह हवेली के दरवाज़े तक पहुँच गया।
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## **हवेली के भीतर**
हवेली का दरवाज़ा आधा टूटा हुआ था। राहुल ने हल्का धक्का दिया तो दरवाज़ा अपने-आप चरमराता हुआ खुल गया। अंदर घुप्प अंधेरा और सीलन की गंध थी। उसने टॉर्च जलाकर देखा—चारों तरफ पुरानी पेंटिंग्स, टूटे फर्नीचर और मकड़ी के जाले।
फर्श पर कदम रखते ही उसकी आवाज़ पूरे हॉल में गूँज गई। तभी अचानक उसे सीढ़ियों से ऊपर भागती हुई परछाई दिखी। राहुल का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, पर उसका डर उसकी जिज्ञासा से छोटा था।
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## **कमरों का रहस्य**
वह सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा। पहला कमरा खोला तो उसमें एक टूटी हुई चारपाई और बिखरे हुए बर्तन पड़े थे। दूसरे कमरे में दीवार पर एक विशाल पेंटिंग थी—राजा विक्रम सिंह और उनका परिवार। पेंटिंग के नीचे लिखा था, *“सत्य छिपा है भीतर।”*
इतने में अचानक कमरे का झूला अपने-आप हिलने लगा। राहुल के हाथ-पाँव ठंडे पड़ गए। उसने टॉर्च उस ओर घुमाई तो झूला रुक गया।
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## **गुप्त दरवाज़ा**
राहुल की नज़र अलमारी पर पड़ी। उसने ज़ोर लगाया तो अलमारी हिली और पीछे से एक गुप्त दरवाज़ा दिखाई दिया। राहुल ने दरवाज़ा खोला और नीचे उतरने लगा। सीढ़ियाँ तहखाने की ओर जाती थीं।
नीचे पहुँचते ही उसे पुराने कागज़, नक्शे और एक धूल भरी डायरी मिली। डायरी खोलते ही पहला वाक्य चमका:
*“यदि कोई यह पढ़ रहा है, तो सावधान! यह हवेली सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि एक रहस्य की क़ैदगाह है।”*
डायरी के पन्नों में लिखा था कि राजा विक्रम सिंह के पास *नवरत्न मणि* नामक हीरा था, जो जिसे भी मिलता, उसकी किस्मत बदल देता। पर उस हीरे के पीछे कई चोर और दुश्मन पड़े थे। एक रात वह हीरा गायब हो गया और उसी के बाद राजा रहस्यमय तरीके से लापता हो गए।
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## **डरावनी मुलाक़ात**
अचानक तहखाने का दरवाज़ा ज़ोर की आवाज़ से बंद हो गया। राहुल घबरा गया। तभी पीछे से धीमी आवाज़ आई—“यहाँ आकर तूने बड़ी गलती की है।”
उसने टॉर्च घुमाई तो सामने एक परछाई खड़ी थी। परछाई धीरे-धीरे पास आई और अब साफ़ दिखा—वह कोई भूत नहीं बल्कि एक बूढ़ा आदमी था।
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## **बूढ़े चौकीदार का सच**
बूढ़े आदमी ने कहा, “मैं इस हवेली का चौकीदार हूँ। सालों पहले राजा ने हीरे को यहाँ छिपाया था। चोरों ने हमला किया, राजा ने बचाने की कोशिश की पर वे खुद इसी तहखाने में क़ैद हो गए। लोग सोचते हैं कि यह हवेली भूतहा है, पर असल में ये सिर्फ अफवाहें थीं ताकि कोई हीरे तक न पहुँचे।”
फिर उसने दीवार के कोने में छिपी तिजोरी दिखाई। चाबी निकालकर तिजोरी खोली तो उसमें छोटा-सा डिब्बा था। जब डिब्बा खोला, तो उसमें से चमकदार *नवरत्न मणि* निकला।
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## **सच्चाई सामने**
“यह हीरा अब किसे मिलेगा?” राहुल ने पूछा।
बूढ़ा बोला, “इसे सही हाथों में जाना चाहिए। लालच ने ही इस हवेली को सुनसान बना दिया। अब यह जनता की अमानत है।”
राहुल ने अगली सुबह पुलिस को सूचना दी। सरकार ने उस हीरे को संग्रहालय में सुरक्षित रख लिया।
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## **अंतिम संदेश**
राहुल जब हवेली से निकला तो उसने पीछे मुड़कर देखा। हवेली अब भी खंडहर थी, पर अब उसके लिए वह डरावनी नहीं, बल्कि इतिहास और साहस की गवाही थी।
राहुल ने सबको साबित कर दिया कि—
**डर अक्सर हमारे दिमाग़ का वहम होता है, और सच्चाई को जानने के लिए हिम्मत चाहिए।**

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