#आगामी_प्रदर्शनी
#सप्ताबरनी !
"रंग चाहे कोई भी या कलात्मक वस्तु अथवा कोई स्वर हो या कोई नाद हमारे मन की ही उत्सुकता हमारी रुचि के विकास की प्रथम गुरु है, जो कि हमारे अंतर्मन की भावनाओं, कामनाओं और संवेदनाओं को सृजनकार के सृजन के रस में भिंगोकर हमारे अंतर्मन के स्थायी भावों को उल्लसित, आल्हादित और आनंदित करती है।"
जयपुर आर्ट समिट की 'क्रॉस बॉर्डर आर्ट कनेक्ट' श्रृंखला में, इस वर्ष ईरान के कलाकारों के समूह प्रदर्शनी किसी पांच सितारा होटल या प्रसिद्ध कला वीथिका में ना करके इस बार अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संजोए प्रसिद्ध कला संस्थान राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स, जयपुर में दिनांक 11 से 14 दिसंबर 2025 के मध्य एवं आहड़ संग्रहालय, उदयपुर में दिनांक 16 से 19 दिसंबर 2025 के मध्य किया जा रहा है।
इस अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी को एक महत्वाकांक्षी आयोजन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है । इस आयोजन से युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और दृष्टिकोणों को जानने का सीधा अवसर मिलेगा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से उनकी संस्कृतिपरक वैश्विक सृजन की समझ भी बढ़ेगी यह अपेक्षा की जाती है।
कला प्रदर्शनी का शीर्षक गोस्वामी तुलसीदासजी कृत श्रीरामचरितमानस में काकभुशुण्डि और गरुड़ संवाद की चौपाई पर आधारित है -
'सप्ताबरन' भेद करि जहाँ लगे गति मोरि।
गयउँ तहाँ प्रभु भुज निरखि ब्याकुल भयउँ बहोरि॥
यहां, भारतीय संस्कृति में डूबी आस्थाओं की बात करें तो, यह चौपाई कोई शब्द या एक भक्तिपरक आश्वासन नहीं है, बल्कि यह इस तात्विकता को भी स्थापित करती है कि शुद्ध और गहन संकल्प जब ईश्वर की चेतना के चैतन्य से जुड़ जाता है, तब वह असंभव को भी संभव बना देता है। आप सभी कला प्रदर्शनी का अवलोकन अवश्य करें । आप सभी सादर आमंत्रित हैं।