��. *स्वत्रन्तता दिवस* ��
*रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्*
*ब्रह्मराजर्षि रत्नाढ्यां वन्दे भारत मातरम्*
रत्नों की खान समुद्र जिनके पैर धोता है, हिमालय जिनका मुकुट है, ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों रुपी रत्नों से समृद्ध ऐसी भारत माता की मैं हृदय से वंदना करता हूँ।
*गायन्ति देवा: किल गीतकानि*
*धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे*
*स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते*
*भवन्ति भूय: पुरुषा: सुरत्वात्*
देवतागण भी निरन्तर यही गीत गाते हैं कि जिन्होने स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारतभूमि में जन्म लिया है।
वह सभी धन्य हैं क्योंकि देवता भी जब पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेते हैँ तो यहीं भारतभूमि में ही जन्मते हैँ।
*धन्य अस्मि भारतत्वेन* मेरा भाग्य है कि मैं एक भारतीय हूँ और मुझे भारत का नागरिक होने पर भी गर्व है।
*आप और हम सबको स्वत्रन्तता दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभ मंगल कामनाए।*
*अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं*
*सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्*
हे माँ भारती हमें ऐसी अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व में हमें कोई न जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारी विनयशीलता के समक्ष नतमस्तक हों।
मेरा भारत महान था, महान है और महान ही रहेगा, आओ हम सब मिलकर देश की अखंडता और एकता के साथ साथ देश को और अधिक समृद्धशाली और शक्तिशाली बनाने की दिशा में अपना अपना योगदान दें।
आओ हम सब मिलकर भारत माता और परमात्मा से प्रार्थना करें कि हमारे देश में चहूँ ओर सुख शांति और आपस में स्नेह व भाईचारा बना रहे, हमारा देश में सभी सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं निरोगी तथा दीर्घायु हों तथा हमारा देश प्रतिपल प्रगति की ओर अग्रसर हों।
*जय हिन्द जय भारत माता की जय*
वैदिक एस्ट्रोलॉजर जगदम्बा ज्योतिष केन्द्र
पंडित मूर्तिराम आनन्द वर्द्धन नौटियाल ज्योतिषाचार्य
देवी नृसिंह उपासक गंगोत्री धाम
ज्योतिष एवं हस्तरेखाविद
मो.9891100914