� छठ पूजा का महत्व और इतिहास �
जैसे-जैसे छठ पूजा नजदीक आती है, हम भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र त्योहारों में से एक की ओर बढ़ते हैं, जिसे "पटना कलम" चित्रकला के माध्यम से कलाकारों ने खूबसूरती से दर्शाया है।
अगर हम इसके इतिहास की बात करें तो छठ पूजा की परंपराएं वैदिक काल तक जाती हैं। ऋग्वेद में भगवान सूर्य की स्तुति और ऐसे ही कई अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। महाभारत में द्रौपदी द्वारा छठ जैसे व्रत करने का उल्लेख है। एक और मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने कार्तिक माह में सूर्य भगवान की पूजा और व्रत किया था।
� छठ पूजा का स्थान और स्वरूप �
यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और नेपाल में मनाया जाता है। इस चार दिवसीय पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है जो समृद्धि और खुशहाली की प्रतीक हैं।
यह पर्व सामूहिक सहयोग से मनाया जाता है जिसमें कठोर व्रत, पवित्र स्नान, और खासकर नदियों के घाटों की सफाई शामिल है — यह प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
� आस्था, शुद्धता और प्रकृति की पूजा �
इस पर्व के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय श्रद्धालु नदी किनारे एकत्र होते हैं और अर्घ्य (पानी अर्पण) देकर सूर्य की पूजा करते हैं।
यह परंपरा भक्ति, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान की मिसाल है, और यह दर्शाता है कि सूर्य की तरह यह त्योहार भी चमकता है।
� चित्रों का स्रोत: Victoria and Albert Museum और British Library से लिए गए हैं।
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