ॐ नमः शिवाय 🙏
ॐ ब्रह्मांड की ध्वनि है, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश (शिव) के अस्तित्व को दर्शाता है।
नमः का अर्थ है "मैं आदरपूर्वक प्रणाम करता हूँ।"
शिवाय का अर्थ है "शिव के लिए," जो समस्त संसार के शाश्वत सत्य और समृद्धि के स्वामी हैं।
यह मंत्र भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है
1. कृपालु शिव और अपने भक्तों के प्रति उनकी भक्ति
एक समय की बात है, जब भगवान शिव हिमालय पर्वत पर निवास कर रहे थे। एक छोटा सा लड़का जिसका नाम "नंदी" था, वह भगवान शिव का भक्त था। वह भगवान शिव के चरणों में भक्ति करता था और उनकी पूजा करता था। एक दिन भगवान शिव ने नंदी से कहा, "तुम्हारे भक्ति से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। तुम मुझसे कोई वर मांगो।" नंदी ने भगवान शिव से कहा, "हे प्रभु! मैं केवल यह चाहता हूँ कि आप मेरे भक्तों के लिए सदा सर्वदा कृपालु बने रहें।"
भगवान शिव ने नंदी की प्रार्थना स्वीकार की और कहा, "जो भी मेरे शरण में आएगा, मैं उसे कभी निराश नहीं करूंगा।"
इस घटना से यह सिखने को मिलता है कि भगवान शिव अपने भक्तों के प्रति असीम दया और प्रेम रखते हैं।
2. समुद्र मंथन और शिव का मंझा हुआ हलाहल
जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया था, तो कई रत्न निकले। एक रत्न था "हलाहल" विष, जो इतना विषैले था कि यदि वह पृथ्वी पर गिरता, तो सभी जीवन का नाश हो जाता। तब भगवान शिव ने इस विष को निगल लिया।
इस विष को निगलते समय उनका गला नीला हो गया, जिससे उनका नाम "नीलकंठ" पड़ा। इस घटना से यह सिखने को मिलता है कि भगवान शिव अपने भक्तों के भले के लिए किसी भी कठिनाई को सहन कर सकते हैं।
3. सती की आग में समर्पण और शिव का तांडव
भगवान शिव की पत्नी सती (दक्षी कन्या) अपने पिता दक्ष के यज्ञ में नहीं बुलाए जाने से दुखी हो गईं। उन्होंने बिना भगवान शिव से अनुमति लिए यज्ञ स्थल पर जाकर आत्मदाह कर लिया। जब भगवान शिव को यह समाचार मिला, तो वे अत्यंत दुखी और क्रोधित हुए।
उन्होंने यज्ञ स्थल पर जाकर अपना तांडव नृत्य किया, जो संसार में विनाश लाने वाला था। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव को शांत किया और सती के शरीर के टुकड़े सारे ब्रह्मांड में बिखरे।
इस घटना से यह संदेश मिलता है कि भगवान शिव अपने प्रियजनों के प्रति अत्यधिक स्नेह और त्यागी होते हैं, और साथ ही यह भी दिखाता है कि वे समग्र संसार के विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता हैं।
4. कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और पार्वती का मिलन
भगवान शिव का कैलाश पर्वत पर निवास है, जहां वे अपनी पत्नी पार्वती और अपने पुत्र गणेश के साथ रहते हैं। एक समय की बात है, जब पार्वती ने भगवान शिव से यह पूछा कि उन्हें एक आदर्श पति के रूप में क्या चाहिए। भगवान शिव ने बताया कि एक आदर्श पति वह है, जो अपने पत्नी के सुख-दुख में हमेशा उसके साथ खड़ा रहे। भगवान शिव ने पार्वती को अपनी शक्ति और प्रेम से यह शिक्षा दी।
यह कथा दिखाती है कि भगवान शिव का प्रेम और भक्ति केवल एक साकार रूप में नहीं, बल्कि एक शाश्वत और अद्वितीय रिश्ते के रूप में है।
5. राम के समय में भगवान शिव का आशीर्वाद
भगवान राम जब रावण से युद्ध करने जा रहे थे, तब उन्होंने भगवान शिव के दर्शन के लिए शिवलिंग की पूजा की। भगवान शिव ने राम को आशीर्वाद दिया और यह वचन लिया कि रावण का वध करने के लिए राम को शिव के धनुष का इस्तेमाल करने की शक्ति मिलेगी।
राम ने भगवान शिव के आशीर्वाद से रावण का वध किया और इस तरह भगवान शिव की कृपा से उन्हें विजय प्राप्त हुई।
ये कथाएं भगवान शिव की अनंत शक्तियों और उनके अपने भक्तों के प्रति अपार प्रेम को प्रकट करती हैं। इन कथाओं से यह भी सिखने को मिलता है कि भगवान शिव की भक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।
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