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*" मन के विचार* " *12/4/25*
*विनोद ताम्रकार जबलपुर /* *पुणे*
*ॐ*
सभी को श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत बहुत बधाई। श्री हनुमानजी का जन्म चैत्र पूर्णिमा दिन मंगलवार को हुआ था। श्री हनुमानजी चिरंजीवी हैं। कुल 8 चिरंजीवी हैं उनमें हैं,भगवान परशुराम , श्री हनुमानजी, विभीषण , द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा , ऋषि मार्कण्डेय , श्री कृपाचार्यजी , राजाबलि, वेदव्यासजी । श्री हनुमानजी को चिरंजीवी होने का वरदान माता सीताजी से प्राप्त हुआ था । श्री हनुमानजी आज भी इस धरा पर श्री राम भक्ति में लीन हैं। उन्हें अष्ट सिद्धियां और नव निधि प्राप्त हैं, वह भगवान शंकर का ही अंश हैं। एकबार माता सीता मांग में सिंदूर भर रहीं थीं तभी हनुमानजी वहां पहुंच गए और माता सीता से सिंदूर क्यों लगाया पूछे तो माता ने कह दिया के इसे लगाने से श्रीराम जी खुश हो जाते हैं। हनुमानजी ने यह सोचकर पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया कि जब जरा से सिंदूर से श्रीराम जी खुश हो सकते हैं तो पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से वे अत्यधिक प्रसन्न हो जाएंगे। वह शनिवार का दिन था , तभी से उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाने लगा ।
श्री हनुमानजी श्री राम के ऊपर कितनी श्रद्धा रखते हैं इसे इस बात से समझा जा सकता है । जब समुद्र पार करने के लिए पुल बनाने पत्थर के ऊपर राम लिखकर नल नील पत्थर डाल रहे थे तो पत्थर तैर जाते थे । श्रीरामजी ने अपने हाथ से राम लिखा और पत्थर पानी में डाला तो पत्थर डूब गया । हनुमानजी से श्रीराम ने पूछें कि ऐसा क्यों हो रहा है । तो हनुमानजी बोले कि प्रभु आप जिसका भी साथ छोड़ेंगे तो वह इसी तरह डूब जाएगा ।
आजभी जहां श्री रामायण का पाठ होता है श्री हनुमानजी उपस्थित रहते है , पाठ करते समय आंखों तथा जिव्हा पर भी उन्हीं का वास होता है । सामान्यतः व्यक्ति को यदि कुछ पढ़ने दिया जाए तो वह इतनी जल्दी और साफ नहीं पढ़ पाएगा।
जय जय हनुमान गोसाई कृपा करहूं गुरुदेव की नाई।
यह प्रार्थना हनुमानजी से हमेशा करनी चाहिए।
*जय जय श्री राम*
*जय जय हनुमान*
*संकट मोचन कृपा निधान ।*