धान की रोपाई करते समय खाद एवं उर्वरक का सही और संतुलित प्रयोग अच्छी पैदावार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मिट्टी की उर्वरता और धान की किस्म के आधार पर उर्वरकों की मात्रा और प्रकार भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, मिट्टी की जांच करवाना सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
खाद एवं उर्वरक के प्रयोग के मुख्य सिद्धांत:
* संतुलित पोषण: धान को नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) के साथ-साथ जिंक (Zn) और सल्फर (S) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है।
* सही समय: उर्वरकों का प्रयोग सही समय पर करना आवश्यक है ताकि पौधे उन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।
* सही विधि: उर्वरकों को सही तरीके से डालना चाहिए ताकि वे बर्बाद न हों और पौधों तक आसानी से पहुंचें।
रोपाई के समय और उसके बाद उर्वरक प्रबंधन:
1. रोपाई से पहले (खेत की तैयारी के समय):
* गोबर की खाद/जैविक खाद: खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ 4 से 10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या अन्य जैविक खाद मिलाना बहुत फायदेमंद होता है। यह मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और सूक्ष्मजीवों की गतिविधि में सुधार करता है। यदि हरी खाद (जैसे ढैंचा) का प्रयोग किया गया है, तो रासायनिक नाइट्रोजन की मात्रा कम की जा सकती है।
* फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K): फास्फोरस और पोटेशियम की पूरी मात्रा रोपाई से पहले खेत की आखिरी जुताई के समय डाल देनी चाहिए।
* DAP (डाय-अमोनियम फास्फेट): प्रति एकड़ लगभग 35-45 किलोग्राम DAP का प्रयोग करें। DAP नाइट्रोजन और फास्फोरस दोनों प्रदान करता है।
* MOP (म्यूरेट ऑफ पोटाश): प्रति एकड़ लगभग 20-27 किलोग्राम MOP का प्रयोग करें।
* SSP (सिंगल सुपर फास्फेट): DAP के स्थान पर 100 किलोग्राम SSP का भी प्रयोग किया जा सकता है, जिसके साथ थोड़ी यूरिया मिलानी होगी।
* जिंक सल्फेट (Zinc Sulphate): यदि मिट्टी में जिंक की कमी है, तो प्रति एकड़ 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 6 किलोग्राम जिंक-EDTA का प्रयोग आखिरी खेत की तैयारी के समय करें। जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में हर दो साल में एक बार इसका उपयोग किया जा सकता है।
* बोरोन (Boron): यदि मिट्टी में बोरोन की कमी है, तो प्रति एकड़ 2 किलोग्राम बोरेक्स का प्रयोग आखिरी खेत की तैयारी के समय करें।
2. रोपाई के बाद (नत्रजन का विभाजन):
नाइट्रोजन (यूरिया) को एक साथ न डालकर कई बार में विभाजित करके डालना चाहिए, क्योंकि यह पानी में घुलनशील होता है और इसकी बर्बादी की संभावना अधिक होती है।
* पहली मात्रा (रोपाई के 7-20 दिन बाद):
* कुल नाइट्रोजन का एक तिहाई या आधा भाग (लगभग 33-38 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़) रोपाई के 7 से 20 दिनों बाद डालें। यह कल्ले फूटने (टिलरिंग) के समय पौधों की शुरुआती वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
* दूसरी मात्रा (कल्ले फूटने के समय/रोपाई के 45 दिन बाद):
* शेष नाइट्रोजन का एक और भाग (लगभग 38 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़) कल्ले फूटने के समय, जो आमतौर पर रोपाई के 20-25 दिन बाद आता है, या रोपाई के 45 दिन बाद दें। यह पौधों के विकास और टिलरिंग को बढ़ावा देता है।
* तीसरी मात्रा (बालियां बनने की प्रारंभिक अवस्था पर):
* नाइट्रोजन की अंतिम मात्रा बाली बनने की प्रारंभिक अवस्था (पैनीकल इनिशिएशन स्टेज), जो रोपाई के 40-60 दिन बाद आती है, पर डालें। यह दानों के बेहतर विकास और उपज के लिए महत्वपूर्ण है।
* ध्यान दें: दाना बनने के बाद उर्वरक का प्रयोग न करें।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
* मिट्टी की जांच: उर्वरकों की सही मात्रा जानने के लिए मिट्टी की जांच सबसे महत्वपूर्ण है। यह आपको बताएगा कि आपकी मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है और कितनी मात्रा में उन्हें डालना चाहिए।
* पानी का स्तर: धान के खेत में पानी का स्तर 3 से 4 सेंटीमीटर बनाए रखना चाहिए, खासकर उर्वरक डालने के बाद, ताकि उर्वरक ठीक से घुल सकें और पौधे उन्हें अवशोषित कर सकें।
* खरपतवार नियंत्रण: उर्वरकों के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि खरपतवार पोषक तत्वों के लिए पौधों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। रोपाई के 2-10 दिन बाद उपयुक्त खरपतवारनाशक का प्रयोग करें।
* सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी: यदि पौधों में जिंक की कमी के लक्षण (जैसे पत्तियों का पीला पड़ना) दिखें, तो जिंक सल्फेट का छिड़काव (0.5% घोल) कर सकते हैं।
यह जानकारी आपको धान की रोपाई के समय खाद और उर्वरक के सही प्रयोग में मदद करेगी, जिससे आपको बेहतर उपज मिल सके।