आप ने कई राज्यों में असदुद्दीन ओवैसी को चुनाव लड़ते हुए देखा होगा, बहुत कम लोग ये जानते होंगे वो जिस भी क्षेत्र में चुनाव लड़ते हैं पहले वहां की बदहाली का आंकड़ा देख लेते हैं, फिर उन आंकड़ों को चुनाव में मुद्दा बनाते हैं
आप असदुद्दीन ओवैसी से असहमत हो सकते हैं लेकिन उनकी बातों से उनके जमीनी आंकड़ों से आप सहमत ही रहेंगे, ओवैसी अगर किसी और राजनीतिक दल में होते तो शायद उनकी इतनी बड़ी पहचान ना होती क्योंकि तब आप को पार्टी की हद में रहना पड़ता
कई बड़े बड़े राजनेता ओवैसी की ये कहते हुए तारीफ करते हैं, की वो अच्छे वक्ता हैं और अपने मुस्लिम समाज की आवाज को जोर शोर से उठाते हैं कोई अगर पूछे कि ओवैसी ने हैदराबाद में मुसलमानों के लिए क्या किया है तब ओवैसी के पास दिखाने के लिए 7–8 स्कूल, 10–12 कॉलेज और 2 मुख्य हॉस्पिटल है
मुसलमान हमेशा से सेक्युलर दलों को वोट देता आ रहा है इसके बावजूद उनकी बदहाली के अकड़े चौंकाने वाले हैं ओवैसी उन्हीं के जरिए नेताओं से सवाल करते हैं ये सब उन नेताओं को पसंद नहीं है फिर ओवैसी उन जगहों पर चुनाव लड़ते हैं फिर उन्हें बीजेपी की बी टीम का टैग दे दिया जाता है क्योंकि ये सेकुलर दल कभी नहीं चाहते मुस्लिम ओवैसी की बात और उनके आंकड़ों को समझे
अगर असदुद्दीन ओवैसी तेलंगाना को छोड़ कर और जगह चुनाव लड़ना छोड़ दें, तो उनके नाम के आगे से बी टीम ठप्पा भी हट जाएगा..!
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