सतावर की खेती कैसे करें?
सतावर (Asparagus racemosus) एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जिसकी जड़ों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। इसकी खेती से किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं सतावर की खेती की पूरी प्रक्रिया विस्तार से:
1. जलवायु और मिट्टी
* जलवायु: सतावर की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उत्तम होती है। इसे पाले से बचाना चाहिए।
* मिट्टी: बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, सतावर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
2. खेत की तैयारी
खेत की 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। पाटा लगाकर खेत को समतल करें। अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद मिलाएं।
3. बुवाई का समय और तरीका
* बुवाई का समय: सतावर की बुवाई का सबसे अच्छा समय जून-जुलाई का महीना होता है, जब मानसून की शुरुआत होती है।
* बुवाई का तरीका:
* बीज द्वारा: सतावर के बीजों को सीधे खेत में बोया जा सकता है या नर्सरी तैयार करके पौधों की रोपाई की जा सकती है। नर्सरी में बीज बोने के बाद, जब पौधे 10-15 सेमी ऊंचे हो जाएं तो उन्हें खेत में 30 x 30 सेमी की दूरी पर रोपित करें।
* कंद द्वारा: सतावर की जड़ों (कंदों) को भी सीधे खेत में लगाया जा सकता है। इसके लिए पुराने पौधों से जड़ों को सावधानी से अलग करें और उन्हें 30 x 30 सेमी की दूरी पर 5-7 सेमी गहराई में लगाएं। कंदों द्वारा बुवाई करने से पौधे जल्दी तैयार होते हैं।
4. सिंचाई
सतावर को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर बुवाई के बाद और सूखे मौसम में। सर्दियों में सिंचाई कम कर सकते हैं। अत्यधिक पानी जमा न होने दें, क्योंकि इससे जड़ों को नुकसान हो सकता है।
5. खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार सतावर के पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। आप मल्चिंग का उपयोग भी कर सकते हैं।
6. पोषण प्रबंधन
अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद के अलावा रासायनिक खादों का भी प्रयोग किया जा सकता है। बुवाई के समय नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (NPK) का संतुलित मिश्रण उपयोग करें। पौधों की वृद्धि के दौरान भी आवश्यकतानुसार टॉप ड्रेसिंग की जा सकती है।
7. कीट एवं रोग नियंत्रण
सतावर में आमतौर पर कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है। हालांकि, कभी-कभी कुछ फंगल रोग या कीट लग सकते हैं। इसके लिए जैविक या रासायनिक फफूंदनाशकों और कीटनाशकों का उपयोग विशेषज्ञों की सलाह पर करें।
8. कटाई
सतावर की जड़ें आमतौर पर बुवाई के 18-24 महीने बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं। जब पत्तियां पीली पड़ने लगें तो जड़ों की खुदाई का सही समय होता है। जड़ों को सावधानी से खोदकर निकालें ताकि वे टूटें नहीं।
9. उपज और लाभ
एक एकड़ से 8-12 क्विंटल तक सूखी सतावर की जड़ें प्राप्त हो सकती हैं। बाजार में सतावर की अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसान काफी लाभ कमा सकते हैं।
सतावर की खेती धैर्य और सही प्रबंधन की मांग करती है, लेकिन एक बार फसल तैयार हो जाने पर यह अच्छा मुनाफा दे सकती है। अगर आपके मन में कोई और सवाल है तो आप पूछ सकते हैं!
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