अनिरुद्धाचार्य जी ध्यान और योग को मोक्ष का मार्ग बताते हैं। परंतु गीता अध्याय 6 श्लोक 47
अनिरुद्धाचार्य जी का मानना है कि भगवान साकार भी है और निराकार भी है।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि हमारे पवित्र सद्ग्रंथ यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, ऋग्वेद मण्डल नम्बर 1 सूक्त 31 मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल नम्बर 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल नम्बर 9 सूक्त 86 मंत्र 26-27 से स्पष्ट है कि परमात्मा मानव सदृश्य साकार है