ऐतिहासिक यज्ञ
Advertisement
आयोजक अखिल भारतवर्षीय धर्म संघ स्वामी करपात्री फाउंडेशन एवं वैदिक कायाकल्प संस्थान के तत्वाधान में आयोजित विश्व के सबसे बड़े आयोजन तीर्थराज प्रयागराज में आगामी पूर्ण महाकुंभ के अवसर पर प्रथम बार अलौकिक अद्वितीय,विलक्षण 100 कुड़िय द्वादश पुरुषचरनात्मक होमआत्मक श्री गायत्री स्मारत महायज्ञ, श्री राजराजेश्वरी महायज्ञ कोटी अर्चन, अष्टादस पुराण पारायण महायज्ञ, चतुर्वेद पारायण महायज्ञ, दिनांक 13.01.2025 से 12.02.2025 पर्यंत एवं माघी कथा 14.01. 2025 से 12.02.2025 पर्यंत एवं श्रीमद् भागवत कथा एवं होमआत्मक श्री ईस्टी स्रोत महायज्ञ एवं कई अन्य दिव्य अनुष्ठान किए जाएंगे प्रयागराज महा यज्ञ की भूमि है क्योंकि सृष्टि कर्ता ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का प्रथम यज्ञ तीर्थराज प्रयागराज में किया गया था तथा इस वर्ष पूर्ण महाकुंभ में एक अद्भुत संयोग बन रहा है जिसमें मंगल कामना के लिए इस सृष्टि में वैदिक यज्ञ ही एकमात्र साधन है जिसमें देवताओं को प्रसन्न करके मनुष्य अपने जीवन को सफल बनाकर चारित्रिक विकास ,आध्यात्मिक उन्नति एवं स्वास्थ्य संरक्षण कर परम गति की प्राप्ति कर सकता है ।अखिल भारतवर्षीय धर्म संघ व स्वामी करपात्री फाउंडेशन एवं वैदिक कायाकल्प संस्थान द्वारा अनेको यज्ञ वैदिक प्रक्रिया द्वारा देश के सिद्ध साधक संतों और ऋषि मुनियों द्वारा समय-समय पर लोक कल्याण के लिए किए गए हैं। गायत्री तपोनिस्ट समर्थ श्री त्रिंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज व श्री विद्या समाराधक तरुण तपस्वी डॉक्टर गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज के सानिध्य में हनुमानगढ़ राजस्थान की पावन धरा पर ऐतिहासिक 100 कुड़िय श्री गणेश पंचायत महायज्ञ से यज्ञ की श्रृंखला प्रारंभ की गई थी जिसमें देश-विदेश से संत समाज एकत्रित हुआ था। जिसका उद्देश्य कुंडलीय दोष से मुक्ति कर नकारात्मकता को दूर कर मानव शरीर को योगी निरोगी और मानवता के लिए उपयोगी बनाने का संकल्प था। वेदों में यज्ञ ही एकमात्र साधन है जिसके द्वारा सभी इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है तथा पूर्ण महाकुंभ 144 वर्ष में मानव जीवन में मात्र एक बार ही प्राप्त होता है इसलिए इन महापुरुषों ने इस ऐतिहासिक समय में आधुनिक समय का सबसे बड़ा महायज्ञ करने का संकल्प लिया है। आपको जानकर यह अति प्रसन्नता होगी कि यज्ञ करने के लिए भी उत्तम स्थान का होना अति आवश्यक है पूज्य गुरुदेव द्वारा इस ऐतिहासिक महायज्ञ के लिए कोटेश्वर महादेव प्रयागराज के स्थान का चयन किया गया है क्योंकि कोटेश्वर महादेव वह स्थान है जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने रावण का वध करने के उपरांत ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए एक करोड़ अणुओ को जोड़कर कोटेश्वर महादेव शिवलिंग बनाया था तथा पूजा की थी हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी कि हम ऐसे ऐतिहासिक यज्ञ के सहभागी बन सके। प्रयागराज तीर्थ में किया गया यज्ञ तथा दी गई एक आहुति भी हजारों यज्ञ के पुण्य के बराबर होती है। इस पुण्य की प्राप्ति के लिए पूज्य गुरुदेव द्वारा एक करोड़ 25 लाख सदस्यों का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करवाया जा रहा है जिसके लिए आपको अगर लिखित वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा www.Vedic kayakalp.org जिसमें फॉर्म भर के एक रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त होगा जिसके द्वारा महायज्ञ में क्रमवार आहुतियां दी जाएगी क्योंकि सबका नाम बोलकर आहुति दी जाना संभव नहीं है इसीलिए क्रमवार संख्या के अनुरूप आहुतियां दी जाएगी इसका किसी भी प्रकार का शुल्क किसी से नहीं लिया जा रहा है परंतु यज्ञ में दान की प्रधानता है उसके बिना पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है इसीलिए श्रमदान मांग कर यह यज्ञ किया जा रहा है कि आप अपने अपने परिवार के अलावा अन्य सदस्यों को प्रेरित कर उन्हें भी पुण्य लाभ प्राप्त करवाने में सहयोग दें जिससे पुण्य की प्राप्ति हो सके। महापुरुषों द्वारा किए जा रहे इस ऐतिहासिक यज्ञ की साक्षी बन हम उससे पुण्य प्राप्त कर सकें
Advertisement